दिसंबर 22, 2017

टाइगर ​जिंदा है के बहाने 'अमन की आशा' का पैगाम

टाइगर वापस आया है। तो फैंस जमकर टाइगर का स्वागत, स्वेग से कर रहे हैं। छुट्टियां भी हैं तो शो हाउसफुल हैं। क्यों न हों जब 30 करोड़ से ज्यादा एडवांस ​बुकिंग मिली इस फिल्म को। जोकि एक कीर्तिमान है। बदले हुए डायरेक्टर ने बेहतरीन ऐक्शन सीन और खूबसूरत लोकेशन के सहारे दर्शकों को खुश करने की काफी कोशिश की है। फिल्म का पहला गाना 'दिल दियां गल्लां' के सहारे नये, नवेले जोड़ों, आशिकों और 8 साल बड़े बच्चों के माता—पिता को रोमांस सिखाने के लिए काफी है। क्योंकि 8 साल बाद टाइगर का एक बेटा भी है। जो अपने मां—बाप अविनाश सिंह राठौर (सलमान खान) और जोया (कटरीना कैफ) के साथ ऑस्ट्रिया की बर्फीली पहाड़ियों में मस्ती से रह रहा है। यह सोचने वाली बात यह है कि न तो रॉ एजेंट सलमान खान अपने वतन को भूले हैं और न ही आईएसआई की एजेंट जोया। दोनों निकलते हैं एक मिशन पर अपने—अपने वतन की नर्सों को बचाने जोकि आईएससी यानि आईएसआईएस के कब्जे में हैं।

इसी बीच सिल्वर स्क्रीन पर पहली बार रॉ और आईएसआई की जुगलबंदी देखने को मिलेगी। इसके बाद दोनों और उसके साथ 4 और लोग जुट जाते हैं मिशन पर। लेखक ने बीच—बीच में इराक—ईरान—सीरिया जैसे देशों में चल रहे आघोषित युद्ध और आतंकवाद के मूल कारण पर भी प्रहार करने का प्रयास किया है। हालांकि वह ऐक्शन के बीच कहीं खो जाता है। मिशन कैसे पूरा होगा यह जानने के लिए फिल्म देखें। गोलियों की धाड़—धाड़ के बीच परेश रावल और कुमुद मिश्रा के साथ कुछ हंसगुल्ले छोड़ने का प्रयास भी किया है। कैटरीना ने एक्शन सीन्स के लिए काफी मेहनत की है। आतंकी सरगना के रोल में साजिद जमे हैं लेकिन जैसा की बॉलीवुड सिनेमा में होता है कि फिल्म में विलेन थोड़ी बहुत देर टिकना चाहिए। लेकिन ये सलमान के समाने ​बिल्कुल नहीं टिकते ऐसा लगता है। डायरेक्टर साहब ने फिल्म की गति को बरकरार रखा है जिससे आपका मन इधर—उधर नहीं भटकेगा। अंत में मिशन की कामयाबी के बाद अस्पताल की बस के दोनों लहराते भारत और पाकिस्तान के झंडें अमन की आशा का पैगाम देते हैं। दरअसल फिल्म का असली सीन भी यही है। इसे देखने के लिए फिल्म को पूरा देखना होगा। हां अगर आपने फैंटम, बेबी और टाइगर जैसी फिल्में देख रखी हैं तो यह फिल्म आप पर थोड़ी भारी पड़ सकती है। पौने तीन घंटें की यह फिल्म फुल फैमली पैकेज है।'स्वैग से करेंगे सबका स्वागत' सुनने के लिए क्रेडिट्स आने का इंतजार करना होगा। ओवरआॅल फिल्म अच्छी बन पड़ी है, और टाइगर फिर वापस आयेगा? की उम्मीद छोड़ती है।​ 

अक्तूबर 03, 2017

साधारणीकरण संचार प्रारूप की रूपरेखा

शोधकर्ता: डॉ. निर्मलमणि अधिकारी
काठमांडू विश्वविद्यालय, नेपाल
nirmalam.adhikary@gmail.com
अनुवादकर्ता: आदित्य कुमार शुक्ला
एमिटी विश्वविद्यालय मध्यप्रदेश
ग्वालियर, भारत
संचार का साधारणीकरण प्रारूप, संचार प्रक्रिया के हिन्दू दृष्टिकोण का निरूपण है। इसमें पारस्परिक संचारकों के बीच समझ, समानता या सामंजस्य प्राप्त करने की प्रक्रिया के आरेखकीय रूप का व्यवस्थित विवरण प्रस्तुत किया गया है। यह प्रारूप बताता है कि कैसे संचार करने वाले लोग साधारणीकरण की प्रक्रिया में सहृदयता की स्थिति को प्राप्त करने के लिए बातचीत करते हैं। सहृदयता वह मुख्य अवधारणा है जिसमें साधारणीकरण का अर्थ निहित है। सहृदयतासमन्वय, समानता, आपसी समझ और एकता की स्थिति है। साधारणीकरण प्रक्रिया की पूर्णता के दौरान संचारक सहृदय अवस्था को प्राप्त करते हैं। इस आधार पर कहा जा सकता है कि संचार की साधारणीकरण प्रक्रिया संचार में समअवस्था के भाव को अभिप्रेरित करती है।
भरतमुनि का नाट्यशास्त्र और भृतहरि का वाक्यपदीय इस प्रारूप के दो मुख्य स्रोत हैं। संस्कृत काव्य, सौंदर्यशास्त्र और भाषाविज्ञान और हिंदू धार्मिक-दार्शनिक ज्ञान प्रणालियों के अन्य विषयों में स्थापित औपचारिक स्थाई अवधारणाओं जैसे, साधारणीकरण, सहृदयता, रसास्वादन, साक्षात्कार आदि को इस संचार प्रारूप में प्रयुक्त किया गया है। यह सभी अवधारणायें साधारणीकरण संचार प्रारूप के स्थापना में नींव की तरह उपयोग में लायी गई हैं।
संक्षेप में, निम्नलिखित बिंदु साधारणीकरण संचार प्रारूप की रूपरेखा प्रस्तुत करते हैं:
  1. इस संचार प्रारूप की संचरना अरेखीय है। यह संचार की द्विपक्षीय अवधारणा को प्रकट करता है। जिसके परिणामस्वरूप संचारकों के बीच आपसी समझ का विकास होता है। इस तरह यह संचार प्रारूप संचार के रैखिक प्रारूपों की सीमाओं से मुक्त है।
  2. यह संचार प्रारूप बताता कि विभिन्न जातियों, भाषाओं, संस्कृतियों और धार्मिक प्रथाओं के जटिल प्रचलित पदानुक्रम के बावजूद हिंदू समाज में किस तरह सफल संचार को संभव बनाया जा सकता है। हिंदू समाज की ​जटिलता के बीच सहृदयता, एकदूसरे से संपर्क बनाने में मदद करती है और संचार की आसान प्रक्रिया स्थापित होती है।
  3. साधारणीकरण प्रक्रिया के दौरान संचारकों के बीच आपसी संबंध बहुत अधिक महत्वपूर्ण होता है। उदाहरण के लिए, जैसे गुरु-शिष्य संबंध हमेशा अपने आप में पवित्र माना जाता है। उसी प्रकार इस प्रक्रिया में सम्बन्धों का कारण नहीं, बल्कि संबंध स्वयं में महत्वपूर्ण है। पश्चिम के अधिकांश संचार सिद्धांतों और प्रारूपों में जिस प्रकार प्रेषक के  प्रभुत्व पर जोर दिया जाता है। उससे अलग यह संचार प्रारूप , संचारकों को समान महत्व देता है।
  4. प्रारूप इंगित करता है की अभिव्यंजना (संकेतीकरण या एन्कोडिंग) एवं रसास्वादन (डीकोडिंग) संचार की मौलिक गतिविधियां हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो यह दोनों साधारणीकरण (संचार) के निर्णायक संधि बिंदु हैं।
  5. यह प्रारूप प्रदर्शित करता है कि संचार का हिंदू परिप्रेक्ष्य आंतरिक या अंतःक्रियात्मक गतिविधि पर अधिक बल देता है। उदाहरण के लिए, एन्कोडिंग और डिकोडिंग की प्रक्रियायें अपने आदर्श रूप में चार-स्तरीय तंत्र स्थापित करती हैं। यहाँ संचार में संवेदी अंगों का उद्देश्य तर्कसंगतता की तुलना में अनुभव पर अधिक से अधिक ज़ोर देना है।
  6. साधारणीकरण प्रारूप स्पष्ट करता है कि किस तरह ग्राहक द्वारा प्रेषक की पहचान न होने पर भी संदर्भानुसार (प्रसंगानुसार) संदेश को अर्थ प्रदान किया जा सकता है। इस तरह वक्ता के दिमाग में चल रहे वास्तविक इरादों को जाने बिना, केवल संदर्भ और प्रासंगिक कारकों को ध्यान में रखते हुए संदेश का प्रायोजित अर्थ निर्धारित किया जा सकता है।
  7. संचार का साधारणीकरण प्रारूप बताता है कि हिंदू परिप्रेक्ष्य में संचार का दायरा बहुत ही व्यापक है। जैसा ​कि प्रारूप के माध्यम से समझा जा सकता है कि जीवन के सभी तीन आयामों अधिभौतिक (भौतिक या सांसारिक), अधिदैविक (मानसिक) तथा आध्यात्मिक (आत्मिक) को समझने के लिए संचार ही सर्वांगीण है। सामाजिक या सांसारिक संदर्भ में संचार ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा आदर्श परिस्थितियों में, मनुष्य साहृदयता को प्राप्त करते हैं। मानसिक संदर्भ में संचार द्वारा यथार्थ ज्ञान प्राप्त करने तथा आपसी समझ को अनुभव किया जा सकता है। इसके साथसाथ संचार के आध्यात्मिक आयाम भी हैं।
  8. इस प्रारूप के अनुसार संचार का उद्देश्य समानता और आपसी समझ की प्राप्ति करना है। लेकिन यह लक्ष्य केवल यहीं तक सीमित नहीं है। जैसे कि वैदिक हिंदू आवधारणा पुरूषार्थ चतुष्टय (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष जोकि मानवीय जीवन के चार लक्ष्य हैं) को प्राप्त करने पर बल देती है उसी प्रकार यह संचार प्रारूप कहता है संचार के माध्यम से इन चारों लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है। इस तरह यह संचार प्रारूप वैदिक हिंदू दर्शन के वैश्विक दृष्टिकोण के अनुरूप है।
एक आवधारणा/सिद्धांत के रूप में साधारणीकरण को संचार के साधारणीकरण प्रारूप से अलग देखना चाहिए। साधारणीकरण सिद्धांत संस्कृत काव्य और अन्य विषयों में स्थापित महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक है। जिसका आधार भरतमुनि का नाट्यशास्त्र है और जिसे भट्टनायक के साथ पहचान मिली। जबकि संचार का साधारणीकरण प्रारूप साधारणीकरण सिद्धांत के साथसाथ कुछ अन्य संसाधनों के माध्यम से संचार के हिंदू दृष्टिकोण को परिभाषित करने के लिए सर्वप्रथम 2003 विकसित और प्रस्तावित किया गया।
इस प्रारूप की मेटासैद्धांतिक धारणा वैदांतिक है। हिंदू आवधारणा के अनुसार संचार करने का तरीका निश्चित रूप से आंतरिक या अंतरात्मात्मक गतिविधि पर बल देता है। यहां यह समझने योग्य है कि अभिव्यंजना और रसास्वादन, संचार की आधारभूत गतिविधियां है और हिंदू आवधारणात्मक जीवन में संचार का उद्देश्य तर्कसंगतता की तुलना में संवेदी अंगों के माध्यम से अधिक से अधिक अनुभव हासिल करना है। यह प्रवृत्ति सहृदयता और अन्य अवधारणाओं को व्यावहारिक रूप से अनुभव करने में सहायता करती है। इस प्रकार संचार का अंतिम परिणाम हिंदू समाज में समन्वय के रूप में प्राप्त होता है।

चयनित संदर्भ सूची:

Adhikary, N. M. (2003). Hindu awadharanama sanchar prakriya [Communication in Hindu concept]. A dissertation presented to Purvanchal University, Nepal in the partial fulfillment of the requirements for the Degree of Master of Arts in Mass Communication and Journalism.
Adhikary, N. M. (2007). Sancharyoga: Verbal communication as a means for attaining moksha. A dissertation presented to the Faculty of the Graduate School of Pokhara University, Nepal in the partial fulfillment of the requirements for the Degree of Master of Philosophy.
Adhikary, N. M. (2009). An introduction to sadharanikaran model of communication. Bodhi: An Interdisciplinary Journal, 3(1), 69-91.
Adhikary, N. M. (2010). Sancharyoga: Approaching communication as a vidya in Hindu orthodoxy. China Media Research, 6(3), 76-84.
Adhikary, N.M. (2011). Theorizing communication: A model from Hinduism. In Y.B. Dura (Ed.), MBM anthology of communication studies (pp. 1-22). Kathmandu: Madan Bhandari Memorial College.
Adhikary, N. M. (2012). Hindu teaching on conflict and peacemaking. In L. Marsden (Ed.), Ashgate research companion on religion and conflict resolution (pp. 67-77). Farnham, Surrey (UK): Ashgate Publishing.
Adhikary, N.M. (2013). Communication theory and classical Sanskrit texts. Rural Aurora, 2, 112-125.
Adhikary, N. M. (2014). Theory and practice of communication – Bharata Muni. Bhopal: Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism and Communication.
Adhikary, N. M. (2016). Hinduism. International Encyclopedia of Communication Theory and Philosophy, pp. 831-838.