जुलाई 21, 2017

कुछ सवाल जो कचोटते हैं!

1. देश में हुई हालिया घटनाओं के विरुद्ध प्रतिरोध के स्वर केवल एक धर्म विशेष को ही लेकर क्यों उठते हैं, उनमें किसी और धर्म को क्यों शामिल नहीं होता। जैसे नॉटआॅनमाईनेम में पंडित आयूब की हत्या, डॉ नारंग की हत्या, केरल में लगातार हो रही पॉलिटिकल हत्याओं, पश्चिम बंगाल में हो रही हत्याओं को शामिल क्यों नहीं किया गया।
2. अगर आरएसएस और बीजेपी से स्वतंत्रता आंदोलन में सहभागिता के प्रश्न पूछे जाते हैं तो वामपंथियों और बाकी पार्टियों से क्यों नहीं पूछे जाते। उनसे 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन का साथ न देने और 1962 में चीन का समर्थन करने की वजह पूछने की हिम्मत कोई क्यों नहीं कर पाता।
3. धर्म परिवर्तन कर रहे लोगों से क्या कभी ये पूछा जाता है कि धर्म परिवर्तन के बाद उन्होंने आरक्षण का लाभ लेना क्यों नहीं बंद किया।
4. अगर गोधरा और बावरी पर पर प्रश्न किया जाता है तो 1982 के सिख दंगों और कश्मीरी पंडितों के खात्मे, असम के दंगों पर सवाल क्यों नहीं उठाये जाते।
5. "सामाजिक न्याय" का तर्क है कि "दलितों" पर "सवर्णों" ने ऐतिहासिक रूप से अन्याय किए, अतएव वर्तमान में न्याय की प्रविधियां दलितों को सुख, सुविधा और संरक्षण मुहैया कराएं!
किंतु अगर "सामाजिक न्याय" से पूछा जाए कि हिंदुओं पर मुसलमानों द्वारा ऐतिहासिक रूप से जो अन्याय और अत्याचार किए गए हैं, उनकी न्याय-तुष्ट‍ि के बारे में आपका क्या मत है? इसका जबाव क्यों नहीं मिलता। साभार Sushobhit Singh Saktawat
6. अंधभक्ति को कोसा जाता है तो अंधविरोध को समर्थन क्यों दिया जाता है।
7. हिंदू आतंकवाद के नाम का ढिंढोरा पीटने वाले लोग, इस्लामिक आतंकवाद, नक्सल आतंकवाद, केरल में कम्यूनिस्ट आतंकवाद, पश्चिम बंगाल में टीएमसी आंतकवाद के नाम पर चुप्पी क्यों साध लेते हैं।
8. हिंदू कट्टरता, सवर्ण कट्टरता को​ ढिंढोरा पीटने वाले लोग मुस्लिम या किसी और धर्म की कट्टरता के नाम पर मौन क्यों धारण कर लेते हैं।
मेरे बुद्धिजीवी मित्र इस बात का ध्यान रखें कि इस प्रश्नों को पूछने का अर्थ यह क​तई न निकालें कि में किसी भी गलत घटना का समर्थन कर रहा हूं। प्रश्न सबसे होने चाहिए, क्योंकि जबावदेही तो सबकी बनती है। यह सूचनाओं का दौर है, जो जानकारी हम तक कभी पहुंचती नहीं थी, वह छन-छनकर बाहर आ रही है। बंद कमरों में होने वाले सेमिनार और सभायें अब सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर होने लगी हैं। तो प्रश्न तो होंगे। अगर यहां कुछ गलत पूछा गया हो, तो उसे ठीककर मेरा ज्ञानवर्धन भी करें। -------आदित्य शुक्ला