टाइगर वापस आया है। तो फैंस जमकर टाइगर का स्वागत, स्वेग से कर रहे हैं। छुट्टियां भी हैं तो शो हाउसफुल हैं। क्यों न हों जब 30 करोड़ से ज्यादा एडवांस बुकिंग मिली इस फिल्म को। जोकि एक कीर्तिमान है। बदले हुए डायरेक्टर ने बेहतरीन ऐक्शन सीन और खूबसूरत लोकेशन के सहारे दर्शकों को खुश करने की काफी कोशिश की है। फिल्म का पहला गाना 'दिल दियां गल्लां' के सहारे नये, नवेले जोड़ों, आशिकों और 8 साल बड़े बच्चों के माता—पिता को रोमांस सिखाने के लिए काफी है। क्योंकि 8 साल बाद टाइगर का एक बेटा भी है। जो अपने मां—बाप अविनाश सिंह राठौर (सलमान खान) और जोया (कटरीना कैफ) के साथ ऑस्ट्रिया की बर्फीली पहाड़ियों में मस्ती से रह रहा है। यह सोचने वाली बात यह है कि न तो रॉ एजेंट सलमान खान अपने वतन को भूले हैं और न ही आईएसआई की एजेंट जोया। दोनों निकलते हैं एक मिशन पर अपने—अपने वतन की नर्सों को बचाने जोकि आईएससी यानि आईएसआईएस के कब्जे में हैं।
इसी बीच सिल्वर स्क्रीन पर पहली बार रॉ और आईएसआई की जुगलबंदी देखने को मिलेगी। इसके बाद दोनों और उसके साथ 4 और लोग जुट जाते हैं मिशन पर। लेखक ने बीच—बीच में इराक—ईरान—सीरिया जैसे देशों में चल रहे आघोषित युद्ध और आतंकवाद के मूल कारण पर भी प्रहार करने का प्रयास किया है। हालांकि वह ऐक्शन के बीच कहीं खो जाता है। मिशन कैसे पूरा होगा यह जानने के लिए फिल्म देखें। गोलियों की धाड़—धाड़ के बीच परेश रावल और कुमुद मिश्रा के साथ कुछ हंसगुल्ले छोड़ने का प्रयास भी किया है। कैटरीना ने एक्शन सीन्स के लिए काफी मेहनत की है। आतंकी सरगना के रोल में साजिद जमे हैं लेकिन जैसा की बॉलीवुड सिनेमा में होता है कि फिल्म में विलेन थोड़ी बहुत देर टिकना चाहिए। लेकिन ये सलमान के समाने बिल्कुल नहीं टिकते ऐसा लगता है। डायरेक्टर साहब ने फिल्म की गति को बरकरार रखा है जिससे आपका मन इधर—उधर नहीं भटकेगा। अंत में मिशन की कामयाबी के बाद अस्पताल की बस के दोनों लहराते भारत और पाकिस्तान के झंडें अमन की आशा का पैगाम देते हैं। दरअसल फिल्म का असली सीन भी यही है। इसे देखने के लिए फिल्म को पूरा देखना होगा। हां अगर आपने फैंटम, बेबी और टाइगर जैसी फिल्में देख रखी हैं तो यह फिल्म आप पर थोड़ी भारी पड़ सकती है। पौने तीन घंटें की यह फिल्म फुल फैमली पैकेज है।'स्वैग से करेंगे सबका स्वागत' सुनने के लिए क्रेडिट्स आने का इंतजार करना होगा। ओवरआॅल फिल्म अच्छी बन पड़ी है, और टाइगर फिर वापस आयेगा? की उम्मीद छोड़ती है।
इसी बीच सिल्वर स्क्रीन पर पहली बार रॉ और आईएसआई की जुगलबंदी देखने को मिलेगी। इसके बाद दोनों और उसके साथ 4 और लोग जुट जाते हैं मिशन पर। लेखक ने बीच—बीच में इराक—ईरान—सीरिया जैसे देशों में चल रहे आघोषित युद्ध और आतंकवाद के मूल कारण पर भी प्रहार करने का प्रयास किया है। हालांकि वह ऐक्शन के बीच कहीं खो जाता है। मिशन कैसे पूरा होगा यह जानने के लिए फिल्म देखें। गोलियों की धाड़—धाड़ के बीच परेश रावल और कुमुद मिश्रा के साथ कुछ हंसगुल्ले छोड़ने का प्रयास भी किया है। कैटरीना ने एक्शन सीन्स के लिए काफी मेहनत की है। आतंकी सरगना के रोल में साजिद जमे हैं लेकिन जैसा की बॉलीवुड सिनेमा में होता है कि फिल्म में विलेन थोड़ी बहुत देर टिकना चाहिए। लेकिन ये सलमान के समाने बिल्कुल नहीं टिकते ऐसा लगता है। डायरेक्टर साहब ने फिल्म की गति को बरकरार रखा है जिससे आपका मन इधर—उधर नहीं भटकेगा। अंत में मिशन की कामयाबी के बाद अस्पताल की बस के दोनों लहराते भारत और पाकिस्तान के झंडें अमन की आशा का पैगाम देते हैं। दरअसल फिल्म का असली सीन भी यही है। इसे देखने के लिए फिल्म को पूरा देखना होगा। हां अगर आपने फैंटम, बेबी और टाइगर जैसी फिल्में देख रखी हैं तो यह फिल्म आप पर थोड़ी भारी पड़ सकती है। पौने तीन घंटें की यह फिल्म फुल फैमली पैकेज है।'स्वैग से करेंगे सबका स्वागत' सुनने के लिए क्रेडिट्स आने का इंतजार करना होगा। ओवरआॅल फिल्म अच्छी बन पड़ी है, और टाइगर फिर वापस आयेगा? की उम्मीद छोड़ती है।