आसमान के किसी कोने से झांकती-ताकती होंगी,
इस देश को निहारती होंगी,
भगत, राजगुरू और सुखदेव की रूहें,
फूट फूट कर रोती होंगी,
और सिसकते हुये सहसा कह उठती होंगी,
देखो साथियों इसलिए हम झूले थे फांसी पर,
देखो कैसे हमको-तुमको,
हम सब साथियों को,
बाँट लिया है,
इन्होने राजनीति करने के लिए,
आज हमारी तस्वीरें लगाएंगे,
फूल मालाएँ चढ़ाएँगे,
गीत गाएँगे, जलसे होंगे,
हमारी शहादत पर होंगे बड़े बड़े व्याख्यान,
लेकिन ये सब केवल एक दिन का है,
इसके बाद फिर से ये
कभी आजाद के नाम पर,
कभी सुभाष के नाम पर,
कभी महात्मा के नाम पर,
कभी अशफाक़ के नाम पर,
कभी बिस्मिल के नाम पर,
कभी हमारे नाम पर, कभी तुम्हारे नाम पर,
करने लगेंगे राजनीति.....
इस देश को निहारती होंगी,
भगत, राजगुरू और सुखदेव की रूहें,
फूट फूट कर रोती होंगी,
और सिसकते हुये सहसा कह उठती होंगी,
देखो साथियों इसलिए हम झूले थे फांसी पर,
देखो कैसे हमको-तुमको,
हम सब साथियों को,
बाँट लिया है,
इन्होने राजनीति करने के लिए,
आज हमारी तस्वीरें लगाएंगे,
फूल मालाएँ चढ़ाएँगे,
गीत गाएँगे, जलसे होंगे,
हमारी शहादत पर होंगे बड़े बड़े व्याख्यान,
लेकिन ये सब केवल एक दिन का है,
इसके बाद फिर से ये
कभी आजाद के नाम पर,
कभी सुभाष के नाम पर,
कभी महात्मा के नाम पर,
कभी अशफाक़ के नाम पर,
कभी बिस्मिल के नाम पर,
कभी हमारे नाम पर, कभी तुम्हारे नाम पर,
करने लगेंगे राजनीति.....
एक पल को सब ठहर सा जाता है,
फिर से आवाज आती है
साथियों लेकिन न जाने क्यों फिर से,
भारत में फिर पैदा होने का मन करता है,
फिर से इन देश तोड़कों से लड़ने का मन करता है,
इन्हें बताने का मन करता है,
तुम स्वार्थ के लिए मेरे विचार बेचते हो,
करते हो भारत को तोड़ने का षड्यंत्र,
मेरे विचारों को बेचना बंद करो,
हमने भारत की अखंडता के स्वप्न सँजोये थे,
इन को समझाना चाहता हूँ,
भारत एक है, अखंड है,
भारत है तो तुम हो, ये न होगा तो कुछ भी न होगा,
भारत को भारत रहने दो,
और कहना चाहता हूँ
भगत, सुखदेव, राजगुरु, आजाद, बिश्मिल, अशफाक़ को,
मत बांटो,
माँट बांटो हमें,
धर्म और राजनीतिक विचार के नाम पर,
हम अखंड भारत का विचार हैं,
हम भारत हैं,
जिन्हे देश से प्यार नहीं,
जो देश को बेचने का स्वप्न पालते हैं,
वो कभी हमारे नहीं हो सकते
वो कभी हमारे नहीं हो सकते.....
फिर से आवाज आती है
साथियों लेकिन न जाने क्यों फिर से,
भारत में फिर पैदा होने का मन करता है,
फिर से इन देश तोड़कों से लड़ने का मन करता है,
इन्हें बताने का मन करता है,
तुम स्वार्थ के लिए मेरे विचार बेचते हो,
करते हो भारत को तोड़ने का षड्यंत्र,
मेरे विचारों को बेचना बंद करो,
हमने भारत की अखंडता के स्वप्न सँजोये थे,
इन को समझाना चाहता हूँ,
भारत एक है, अखंड है,
भारत है तो तुम हो, ये न होगा तो कुछ भी न होगा,
भारत को भारत रहने दो,
और कहना चाहता हूँ
भगत, सुखदेव, राजगुरु, आजाद, बिश्मिल, अशफाक़ को,
मत बांटो,
माँट बांटो हमें,
धर्म और राजनीतिक विचार के नाम पर,
हम अखंड भारत का विचार हैं,
हम भारत हैं,
जिन्हे देश से प्यार नहीं,
जो देश को बेचने का स्वप्न पालते हैं,
वो कभी हमारे नहीं हो सकते
वो कभी हमारे नहीं हो सकते.....
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन उन युवाओं से क्यों नहीं आज के युवा : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
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