किसी को कुछ भी बतलाना यहाँ संभव कहाँ
नहीं होता यहां हर प्रश्न का उत्तर सदा
समय के साथ चल पाना यहाँ संभव कहाँ।1।
लिखा जो भी नियति में देखना होगा हमें
काल के पार जा पाना यहाँ संभव कहाँ
चलो अब देखते हैं क्या छुपा कल के पिटारे में
कि कल की सोच पाना अब यहां संभव कहाँ।2।
किसी के साथ देने को भला कितना पुकारोगे
सुने हर बार तेरी आह यह यहाँ संभव कहाँ
चलो अब स्वयं को खोजो समेटो और जोड़ो तुम
किसी का हाथ मिल पाना यहां संभव कहाँ।3।
अंत में तुम स्वयं ही साथ खुद का दे सकोगे
किसी का साथ पा जाना यहां संभव कहाँ।
जुड़ो सर्वोच्च सत्ता से वही अंतिम सहारा है
भटकना देर तक संसार में संभव कहाँ।4।
---आदित्य---