- पंजाब को बीजेपी जानबूझकर हारी है। इसके उसे एक फायदा मिला अकाली से मुक्ति का रास्ता साफ हो गया।
- मनोज सिन्हा हो सकते है यूपी के अगले मुख्यमंत्री।
- मणिपुर और गोवा में अन्य पार्टियों के प्रत्याशी बनावायेंगे मुख्यमंत्री। दोनों जगह बीजेपी और कांग्रेस में कड़ी टक्कर।
- यह क्षेत्रीय राजनीति के अवसान का दौर है। राष्ट्रीय राजनीति के पुर्नआगमन का दौर।
- देश का मिज़ाज सभी राजनीतिक दलों को समझने की जरूरत है। सभी मित्रों को उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा की ऐतिहासिक जीत की बधाई। बाकी पार्टियां सबक लें।
- देवबंद से मुस्लिम बाहुल्य इलाके से बीजेपी जीत गई है। इसे ध्रुवीकरण नहीं कहेंगे। भारतीय मुस्लिम भी बीजेपी में विश्वास करने लगा है।
- इतना बुरा होने के बाद कांग्रेस को अब संगठन के लेवल पर पूर्नविचार की आवश्यकता है।
- जो भी लोग दूसरी पार्टियों से भाजपा में आये थे, उन्होंने खुद को साबित किया। लगभग सभी आगे चल रहे हैं।
- मोदी और बीजेपी विरोध के पर्टियों का गठजोड़ जनता को रास नहीं आ रहा।
- चुनाव नतीजे बता रहे हैं कि पंजाब को छोड़कर कहीं भी मजबूत विपक्ष नहीं दिख रहा। ऐसा होना लोकतंत्र के लिए घातक है।
- नोटबंदी को जिस तरह से अमीरों के खिलाफ प्रोजेक्ट किया गया। वह काम कर गया। बीजेपी गरीबों की पार्टी भी बन गयी। उसका फायदा मिला यूपी में बीजेपी को।
- वोट बदलाव के लिए हुआ। नोटबंदी का समर्थन किया जनता ने। प्रधानमंत्री का स्वयं उत्तरप्रदेश के गलियों की धूल छानना, जनता को भा गया।
- बहुजन समाज पार्टी अब खात्मे के दौर में आने वाले पांच सालों के बाद वह भी नहीं मिलेगा। बहुजन समाज पार्टी में अमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है।
- छद्म धर्मनिरपेक्षता, यादववाद, दलितवाद को जनता नकारने लगी है। इसे लहर नहीं कहा जा सकता, जनता परिवर्तन चाहती है, तथाकथित सोच से।
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मार्च 12, 2017
विधानसभा चुनाव—2017 आंकलन
विधानसभा चुनाव—2017
- मणिपुर और गोवा को छोड़ दें और हाल के सालों में सम्पन्न हुए सभी चुनावों को गौर से देखें तो पायेंगे कि मतदाता अब पूर्ण बहुमत की सरकार चाहता है। वह नहीं चाहता कि मध्यावधि चुनाव हों। लोकसभा चुनाव के बाद यह दिल्ली, बिहार, असम आदि सभी जगह यही दिखा। पार्टी धुरधरों और राजनीतिक पंडितों को इसका भी आंकलन करना चाहिए।
- हर बात को पढ़—पढ़कर बोलने वाला नेता जनता से जुड़ नहीं सकता। मायावती का फेल होना यह बताता है, कि विगत वर्षों में उन्होंने किस तरह की राजनीति की है। 2014 के लोकसभा चुनाव में कोई सीट न मिलना और 2017 के विधानसभा में केवल 19 सीटें मिलना यह बताता है कि उनके लोगों का उन पर भरोसा उठा है। खुद के लोगों से दूर होकर, मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने की मायावती की इंजीनियरिंग फेल हो गई। हालांकि इसका फायदा बीजेपी को मिला, उन्होंने मतदाताओं को बाखूबी बांट दिया और बीजेपी ने 325 का जादूई आंकड़ा छू लिया। अब तो बीएसपी इस स्थिति में पहुंच गई है कि मायावती को अपने दम पर राज्यसभा पहुंचने में भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। यह सच है कि मतदाताओं को मोह बीएसपी यानि मायावती से भंग हुआ है। एक गलत काम और किया उन्होंने, बीएसपी में कोई नेता तैयार नहीं किया। तो मतदाता भी क्या सोचे कि यह मायावती का आखिरी चुनाव था। हालांकि वोट प्रतिशत के हिसाब से वह 22 फीसदी वोट लेने में सफल हुई हैं। परंतु इस आधार पर उनके भविष्य की खत्म होती संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता।
- यूपी में बीजेपी सरकार से उम्मीदें.....
- शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन हो। खासकर स्कूली शिक्षा के स्तर पर अमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है।
- बुंदेलखंड के सूखे और पूर्वांचल के बीमारियों से प्रभावित इलाकों को प्राथमिकता पर रखा जाये।
- परिवहन व्यवस्था दुरस्त हो। परिवहन के नियमों को सख्ती से लागू किया जाये।
- रोजगार के अवसरों का सृजन किया जाये।
- भूमाफिया, माफिया, अपराधियों के मामले त्वरित न्याय की व्यवस्था की जाये।
- जातिगत, क्षेत्रगत, सम्प्रदायगत राजनीति से इतर समग्र विकास के प्रवाह का विस्तार किया जाये।
#ElectionResults, #UttarPradesh, Narendra Modi Amit Shah BJP Uttar Pradesh Bharatiya Janata Party (BJP)
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